लिखित – अनुष्का राधा सेन
अनुवाद – तन्वी मिश्रा
अनुवादक का एक टिप्पड़
सिर्फ़ टिटनी की उत्तेजना से होने वाले ओरग़ाज़म/ कामोन्माद को क्लिटॉरल ओरग़ाज़म/कामोत्तेजना कहा जाता है और योनि में प्रवेश करके या किसी वस्तु से योनि को उत्तेजित करके होने वाले ओरग़ाज़म/कामोत्तेजना को योनिक ओरग़ाज़म/कामोत्तेजना कहा जाता है।
जब मैं 11 साल की थी, तो मुझे जीन एम औएल की ‘अर्थ्स चिलरेन’ सीरीज़ घर के पास की किताबों की दुकान के बाल साहित्य भाग में मिली। इस सीरीज़ में छह पुस्तकें हैं, और ये अयला नाम की गुफ़ा में रहने वाली एक औरत, उसका प्रेमी जोनदालार और उनके नव पाषाण काल/ ‘लेट स्टोन एज’ के समय यूरोप में किए गये सफ़र की कहानी है।
दूसरे भाग की शुरुआत में ही एक प्राचीन सेक्स रस्म का एक लंबा और संरचनात्मक वर्णन मेरे सामने आया। तब मैं समझ गयी की ये श्रृंखला वास्तव में बाल साहित्य भाग की रहवासी थी ही नहीं।
चित्रण : अपर्णा जैन
मैं मंत्रमुग्ध हो गयी थी। इन दृश्यों ने मेरा परिचय एक बिल्कुल नई दुनिया से कराया। वे सेक्स पर मेरे ज्ञान और शिक्षा का सबसे महत्वपूर्ण स्रोत थे, और एक पूरे दशक के लिए उनका मेरी अपनेयौन जीवन/सेक्स लाईफ़ पर गहरा प्रभाव रहा।
दुर्भाग्य से, इन किताबों में, टिटनी (क्लिटॉरिस) का उल्लेख सिर्फ़ फोरप्ले (सेक्स के पूर्व की क्रीडा) के दौरान किया गया था। अगर अयला को ओरग़ाज़म/कामोन्माद होता, तो वो हमेशा प्रवेशक सेक्स/संभोग के दौरान या उसके बाद होता था। जहां एक तरफ़ किताब के पन्ने गुफ़ा में होने वाले सेक्स से भरे हुए थे, वहीं अयला को एक बार भी विशुद्ध रूप से क्लिटॉरल कामोन्माद नहीं हुआ था।
इन विस्तृत, थोडे़ हटके और आक्रामक रूप से विषमलैंगिक सेक्स के दृश्यों की बदौलत ( जो मुझे जीवन में इतनी जल्दी उन पन्नों पर मिले), मुझे एक लंबे अर्से तक लगा कि सेक्स के बारे में जानने के लिए जो कुछ भी था, मुझे – सब पता था। मुझे यकीन था कि फ़ीमेल कामोन्माद तक पहुँचने का रास्ता मुझे पता था, और मुझे विश्वास था कि ये प्रवेशक योनि सेक्स से ही हासिल किया जा सकता था। अल्प ज्ञानकामोन्माद के लिए खतरनाक साबित हो सकता है !
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मैं सोलह साल की थी I मेरा पहला सीरियस बॉयफ्रेंड, सेक्स में अपना काम पूरा करने के बाद (वीर्यपात होने के बाद) सो गया था। मैं एक तरफ़ लेटकर ‘दि पर्पल फ़्लावर’ किताब पढ़ रही थी। मैने ये किताब उसके बैंगलुरू वाले घर में ही रख दी थी क्योंकि मुझे पता था कि ऐसा होने वाला है । मुझे याद है कि किताब बीच में नीचे रखकर मैंने इस बात पर आश्चर्य किया कि वो हर बार सेक्स के बाद इतनी जल्दी और इतनी गहरी नींद कैसे सो सकता था।
हमें डेट करते हुए अब १० महीनों से ज्यादा हो चुके थे। उतना समय सेक्स करने से जुड़े हुए किसी भी प्रकार के नयेपन से बाहर निकलने के लिए काफ़ी था। अब मुझे इस बात से चिड़चिड़ाहट और चिंता होने लगी थी की मेरा कामोन्माद आखिर कहां था? जब हमने पहली बार सेक्स करना शुरू किया था, मैंने खुद को (और ज़ाहिर है, उसे) यकीन दिलाया था कि मुझे नियमित रूप से कामोन्माद होता था। वो भी एक से अधिक बार। मुझे शायद खुद भी इस बात पर कुछ हद तक विश्वास हो गया था, और यही बात मैं अपने सभी दोस्तों से कहती थी।
लेकिन जैसे-जैसे उस अजीब रिश्ते का जोश कम होने लगा , मैंने अपनी परिस्थिति के बारे में वास्तविक रूप से सोचना शुरु किया। मुझे पता था कि कामोन्माद में क्या महसूस होना चाहिए। बस मुझे ये सुख प्राप्त नहीं हो रहा था। अब तक, गलत शेल्फ़ में रखी हुई उन किताबों के अलावा भी मैं सेक्स के ढ़ेर सारे वर्णन पढ़ चुकी थी। इतने कि मैं साहित्य में दिए कामोन्माद के लक्षणों की सूची बना सकती थी – एक गर्माहट ;अस्पष्ट स्थानों पर खून का दौड़ना; कमर/कूल्हों का एक पिस्टन कि तरह ऊपर की ओर जाना; हड्डियों का कुरकुरापन; पैर की उंगलियों की कर्लिंग और कुछ सेकंड के लिए सांस फ़ूलने के साथ होश उड़ना।
इनमें से एक भी चीज़ मेरे साथ नहीं हो रही थी। एक बार भी नहीं, कभी नहीं। ना प्रियंका जोसेफ के शब्दों के अनुसार मेरे “एकदम-विषमलैंगि -पिता-के-कोलोन-की-तरह महकने वाले बॉयफ्रेंड” के साथ, और ना ही मेरी रात को खुद के साथ की गयी खोज में।
मैंने सीखा की मेरे प्रेमी ने उस तरह के सेक्स में उत्कृष्टता हासिल की थी, जिसमें कई पुरुष अच्छे होते हैं: ऐसे सेक्स का तरीका जो उनके लिए काम करता है, और उनके साथ की महिला के लिए कुछ भी नहीं करता। हम गीला चुम्बन करते थे, वो मेरी गर्दन को धीरे से काटता, मेरे स्तनों के साथ खेलता और फ़िर मेरे अंदर जाता। कभी-कभी वो मेरे जघन को अपने मुँह से आनंदित करता, कभी मेरी टिटनी अपनी सूखी उंगलियों से रगड़ता, पर अक्सर वो ऐसा नहीं करता था।
मेरी अपनी यौन गतिविधियां कहीं ज्यादा रोमॅन्टिक और विस्तृत थीं। मैं अपने टब को गर्म पानी से भर देती, एक कुत्ते के कान से मुडे़ पन्नों के कोनों वाली नोरा रॉबर्ट्स की किताब खोलती, और किसी सेक्स सीन से लगभग २० पन्नों पहले पढ़ना शुरू कर देती। मैं उत्साह बढ़ाने के लिए कहानी इत्मिनान से पढ़ती , मूड़ बनाने और हर चीज़ को अनुभव करने के लिए। जब मैं तैयार हो जाती, तो किताब को रखकर या उसे एक हाथ से पकड़े हुए, दो उंगलियां अंदर स्लाइड करती, और उनको जान बूझ कर ऊपर की ओर मोड़ देती ताकि वो अधिक उत्तेजना पैदा करने वाली एक खास जगह पे जाके लगतीं।
ऐसा करने से आनंद महसूस होता था।अब मुझे पता है कि जी-स्पॉट -जिसे महिला शरीर का एक हिस्सा माना जाता है- योनि की गहराई में बसने वाला,जिसे छूते ही तुरंत एक शक्तिशाली कामोन्माद होता है – वो केवल मिथक है। लेकिन उन दिनों, ऐसा करने पे मुझे मज़ा आता और ऐसा लगता जैसे मुझे जी-स्पॉट मिल गया था। जब मैं अपनी उंगलियों को मोड़के योनि के भीतर डालती, मुझे आमतौर से अधिक आनंद महसूस होता; ये अपनी सीधी अंगुलियों को अंदर और बाहर करने से अलग, बहतर अनुभूति थी। मैंने तो मान लिया था कि इस छोटे से आनन्ददायक झटके से बहतरीन और कुछ नहीं था, क्योंकि ये स्पष्ट था की कामोन्माद वहीं से आता था, और मुझे अभी तक एक बार भी उसका अनुभव नहीं हुआ था।
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ना किसी अन्य व्यक्ति के साथ, और ना कोई कामोन्माद खुद के साथ। मेरे लक्षणों को लेकर कुछ शोकपूर्ण गूगलिंग ने एक दिशा में काफी तेज़ी से इशारा किया: अनॉर्गेज़्मिया। अनॉर्गेज़्मिया एक ऐसी स्थिति है जहां एक व्यक्ति पर्याप्त यौन उत्तेजना के बाद भी कामोन्माद तक नहीं पहुँच पाती। इसका मतलब ये नहीं है कि आपको यौन उत्तेजना या इच्छा नहीं है, पर ये कि इसके बावजूद आप सुख की चरन सीमा नहीं छू सकते। गूगल ने मुझे सूचित किया कि पांच महिलाओं में से एक इससे पीड़ित है, और मैं तुरंत मान बैठी कि मैं उनमें से एक थी।
जब तक मैं 18 साल की हुई, मैं अपने एक्स-प्रेमी के साथ ब्रेकअप कर चुकी थी, और कुछ अन्य लोगों को डे़ट करने के लिए खुद को पर्याप्त रूप से वापस तैयार कर चुकी थी।जहां तक मुझे याद है, अपने आप को अनॉर्गेज़्मिया के साथ निदान करने के बाद मैंने एक अजीब अंतःअवस्था में प्रवेश किया था। कभी-कभी जिन लड़कों के साथ मैं संभोग करती थी उनको मैं ये कहती की मैं अनॉर्गेज़्मिक थी, और कभी-कभी नहीं कहती। यहां तक कि जब मैंने उन्हें बताया, कुछ ऐसे कारणों से जो तब रहस्यमय लग रहे थे, मैंने अपने जाली कामोन्माद का ढोंग जारी रखा। ऐसा सोचने और करने में कोई समझदारी नहीं थी (अब मुझे पता है कि जाली कामोन्माद में कभी कोई समझदारी नहीं होती)। मेरे साथी को अपने और अपने सुनहरे लिंग से दोगुना संतोष महसूस होता। मैं उसके प्रति क्रोध महसूस करती, और अपने प्रति, अवहेलना।
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उम्र: 22 वर्ष। अपनी मास्टर्स डिग्री के लिए मैं लंदन चली गयी, जहां पूरे एक महीने के लिए मैं गाँजा फ़ूक कर मदहोश रहती थी। मेरा मतलब ये नहीं है कि मैं डिनर से पहले एक-आद जॉइंट फ़ूंक लेती। मेरा मतलब है कि काफ़ी हफ़्तों के लिए मैं जगते वक्त एक गिलास के बोंग से हर आधे घंटे एक बड़ा हिट ले रही थी। दिसंबर का महिना है। मैं केवल कुछ महीनों से लंदन में हूँ, और हाल ही मैं लंदन आई हूँ, माने जो मज़े मैं लेने वाली हूँ, आने केबहुत ही शीघ्र ले रही हूँ I विश्वविद्यालय में उपस्थिति अनिवार्य नहीं है, और अगर होती भी, मुझे नहीं लगता है कि मैं जाती। मेरा शरीर उस तरह के तापमान के लिए नहीं बनाया गया है, और इसके अलावा, गाँजा वास्तव में बहुत ही बढ़िया है । कोई बीजा नहीं, कोई डंठल नहीं और छूने में नरम, और उसकी नींबू सी घनी महक, जो पर्दे और आपकी उंगलियों और हवा से चिपक जाती है। सही में एक धुंध। उन दिनों मैं हर रोज़ बस मूंगफली के मक्खन और जेली सैंडविच के आहार पर थी, क्योंकि वे सस्ते और मीठे थे और मैं अपना सारा पैसा गाँजे पर खर्च कर रही थी।
मुझे पता है कि यह सुनने में थोड़ा बुरा लगता है, लेकिन ये खराब समय नहीं था। मैं इस तरह की मदहोशी में थी जहां आपके पास शांत होने का समय नहीं, एक चढ़ाई सी है, जिसपर आपको चढ़ते रहना है, जब तक आप नये समतल पर ना पहुँच जाएँ I मुझे मज़ा आता था । इसी धुंध में कहीं मुझे 15 मिनट में कामोन्माद पाने के तरीके पर एक पत्रिका में लेख मिला।
पत्रिका की कहानी ने ये मान लिया था कि आप एक हेट्रा/विषमलैंगिक महिला थीं। कहानी का निर्देश था कि आपका साथी टिटनी के सिर को पीछे खींच ले, और बहुत नम उंगलियों के साथ, आपकी टिटनी के ऊपर वाले दायें तरफ़ को तेज, छोटे स्ट्रोक के साथ, एक ताल मापनी के समान चपलता के साथ रगड़ें। इस के 15 मिनट के बाद, आपके साथी को आपकी नाभि के नीचे एक पम्पिंग एक्शन से दबाव डालना था (मजबूती से पर ज्यादा मजबूती से नहीं), और बस, आपको कुल 15 मिनट में कामोन्माद का सुख प्राप्त होगा।
मैं बहुत मदहोशी में थी, और थोड़ी उत्तेजित भी थी। मैंने सोचा कि ठीक है, क्यों नहीं?, और बस उसके बाद उसे हासिल करने में जुट गयी। मेरे 22 वर्षीय जीवन में पहली बार, मैं लेटी, टिटनी के सिर को पीछे खींच लिया और मेरे अंगूठे से इसे हुक कर लिया, और उस समय जैसे ठीक लगा, मैने अपनी टिटनी को मलना शुरु कर दिया। शायद यह लेख का मनोवैज्ञानिक प्रभाव था, शायद नहीं, लेकिन जल्द ही, मैं अपनी टिटनी के उऊपरी हिस्से की दाहिनी तरफ़ छोटी गतियों से अपनी उंगलियां घुमा रही थी। लगभग 10 मिनट में, मेरा शरीर सचमुच ऑटोपायलेट पे था। 15 मिनट में, मुझे अपने जीवन के पहले कामोन्माद का अनुभव हुआ। ध्यान रहे, कोई 15 मिनट का कामोन्माद नहीं, एक नियमित पुराने जमाने वाला, किताबों में लिखा- छपा- वर्णित कामोन्माद था।
हँसी की बात ये है कि, उसके बाद एक अनंत के लिए मैं एकदम नॉक आउट हो चुकी थी। 22 साल की यौन दिलचस्पी और हताशा, दोनों एक शानदार कामोन्माद में सिमट चुकी थीं।वादे पर खरा उतरा ये कामोन्माद: कूल्हों का एक खुद से ऊपर होना, जांघों में हलचल, शरीर में तरंगें और टखने की हड्डियों में एक अजीब कुरकुराह्ट। बहतरीन एहसास था।
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जब मैंने अपने होश वापस पाए, मुझे याद है कि मैं जोर से हँसी थी। मैं चौंकी हुई थी, लेकिन अपरिमित रूप से उत्साहित भीथी। मैं अनॉर्गेज़्मिक नहीं थी, बस अपनी अब तक की जिंदगी में गलत तरीके से कामोन्माद पाने की कोशिश में लगी रही थी ।
हस्तमैथुन सफलतापूर्वक सीखने के लिए, मुझे 22 साल और शायद एक मिथक 15 मिनट के कामोन्माद का लेख, दोनों लगे थे (एक छोटा सा सवाल: मैं अब भी ‘हस्तमैथुन’ से कुछ सुंदर शब्द की तलाश में हूँ। क्या आपको कोई ऐसा शब्द पता है?)। इस नई खोज ने मेरे जीवन में बहुत सारे बदलाव किए। करीब एक महीने बाद तक मैं अपने कमरे में रहती और बस यही करती रहती थी। मेरे रूममेट को एक बार लगा मैं मर गयी थी, क्योंकि उसे मैं मुश्किल से दिखाई या सुनाई देती थी, और कुछ समय बाद, उसे लगा मैं उदास थी, क्योंकि मैं केवल रसोई से पानी लेने के लिए कमरे से अपनी बाथरोब में बाहर निकलती थी, और एकदम थकी हुइ दिखती थी। काश उसे पता होता कि मैं उदासी की किसी भावना से बहुत दूर थी।
यही समय था जब मुझे ये महत्वपूर्ण अहसास हुआ कि मैं ज्यादातर/सैकडों महिलाओं में से एक हूं जो केवल टिटनी के द्वारा कामोन्माद का अनुभव करती हैं, योनी प्रवेश से नहीं। मुझे पता है कि कामोन्माद पाने के लिए मेरे टिटनी/क्लाइटॉरिस को कुछ समय तक लगातार छूने और रगड़ने की आवश्यकता है, और योनि से जुड़ी कोई भी गतिविधि से काम नहीं बनेगा। मैंने फ़ैसला किया है कि मैं कामोन्माद होने का नाटक नहीं करूंगी क्योंकि ऐसा करना अब हास्यास्पद है और मुझे पता है कि वास्तविकता में कामोन्माद कैसा लगता है।
और अब तो मैं पुरुषों को दिखा सकती हूं कि मेरे लिए क्या काम करता है।
जिसका मतलब ये नहीं है कि सफ़र आसान हो गया है; या उतना आसान जितना मैंने सोचा था कि अब होगा, जब मैं जान चुकी हूं कि कामोन्माद पाने के लिए मुझे क्या करना है..
मेरे लिए सफल हस्तमैथुन अब इतना सहज है. ये दबाव, आवृत्ति और स्नेहन के छोटे बदलावों पर इतना निर्भर करता है जो मेरे लिए करना बहुत आसान है। लेकिन उन छोटे बदलावों को किसी और को समझाना, खासकर उन उत्तेजित पलों में, काफ़ी मुश्किल हो जाता है।
मैं भी किसी अन्य व्यक्ति की तरह सौंदर्यात्मक-संभोग पसंद करती हूं; पी.टी. शिक्षक की तरह बरताव करना और जो व्यक्ति मुझे खुश करने में लगा है, उसे ऊँची आवाज़ में फलाँ फलाँ करने के निर्देश देना अजीब लगता है । यह देखते हुए कि कामोन्माद पाने में पूरे 10 या 15 मिनट के बहुत विशिष्ट और सटीक कार्यों की जरूरत लगती है, मामला थोड़ा अजीब हो सकता है। मेरा कामोन्माद मुझसे मेरा केंद्रित ध्यान माँगता है। उस वक्त खुद से सवाल करने पर, कि क्या मैं कुछ ज़्यादा निर्देश तो नहीं दे रही, मेरा ध्यान भटक जाता है, वो ध्यान जिसपर मेरा उन्माद निर्भर है । हाँ, तब बड़ी निराशा होती है, जब मेरे सभी निर्देशों के बाद भी वो इसे सही तरीके से नहीं कर पाते, और मैं वहां आधी-उत्तेजना में पड़ी होती हूँ। इसके अलावा, मुझे लगता है कि उनके सहज-ज्ञान के विपरीत, निर्देशों की उन पर बौछार करके, चीजों को सही करने की चिंता उन पे हावी हो जाती है, और वो घबरा जाते हैं।
मैंने सेक्स के पहले उनसे विस्तृत तरीके से बातचीत करने की कोशिश की है, यह समझाने के उद्देश्य से कि मेरे लिए क्या करना काम करता है।
इस बातचीत के दो अलग परिणाम हो सकते हैं: यह एक मजेदार, रोमांचक और सेक्सी बातचीत हो सकती है – जो हमारा सेक्स के लिए मूड बनाती है और जो फ़िर बहुत स्वाभाविक तरीके से सेक्स में पनप जाती है, या फ़िर ये पूरी प्रक्रिया को बहुत नैदानिक/क्लिनिकी और स्वचालित/मशीनी बना देती है, जो बिल्कुल बेकार है । यह व्यक्ति और हमारी मनोदशा पर निर्भर करता है। सेक्स के बाद बातचीत करना अच्छा हो सकता है, लेकिन मुझे इस बात का डर रहता है – इससे मेरे साथी को कहीं ऐसा ना लगे कि वो सेक्स के दौरान निराशाजनक था या कि वो निशाना चूक गया है, कि कहीं ये बातचीत हमारे सेक्स के खुशी भरे पलों को खट्टा ना कर दे।
मुझे इस बात की खुशी है कि मैने एक ऐसा हल ढूंढ निकाला है जो कुछ हद तक मेरे लिए काम करता है।
एक लड़के ने मुझे बताया कि किसी महिला को हस्तमैथुन करते देख उसे बहुत उत्तेजना होती है और मुझसे पूछा क्या मैं उसके सामने ऐसा करने के लिए तैयार थी। ये मुझे काफ़ी रोमांचक और अच्छा वाला अजीब लगा; पीटी शिक्षक की तरह लगे बिना मेरे लिए क्या काम करता है, उसे दिखाने का ये एक तूफ़ानी सेक्सी तरीका था।
उस पहली बार, मैंने अपने आप को अपने कामोन्माद की तीव्रता से आश्चर्यचकित कर दिया। कभी-कभी मैं सोचती हूं कि उसी तरह अपने कामोन्माद से फ़िर से आशचर्यचकित होना कैसा लगेगा, तब, जब मुझे पता है कि जब कोई और मेरे कामोन्माद की कोशिश में लगा हुआ है। क्योंकि तब मुझे पता ना होगा कि मैं कब कामोन्माद पाने वाली हूं। अभी तक यह किसी भी लड़के के साथ नहीं हुआ है, लेकिन मैने लड़कों के इर्द गिर्द काफ़ी बार अपने आप को कामोन्माद तक पहुंचाया है, उन्हें ये दिखाने के उद्देश्य से कि एक आय.एस.आय मार्क वाला ज़नाना कामोन्माद आखिर दिखता कैसा है। या कम से कम मेरा आय.एस.आय मार्क वाली कामोन्माद दिखता कैसा है।
आशावादी हूं और लगता है कि मैं अपने लक्ष्य के करीब पहुंच रही हूं। मैं अपनी योजना और मेरी चिपचिपी उंगलियों के साथ चिपकी रहनेवली हूं। आपको बता दूंगी कि मेरा ये मंसूबा क्या रंग लाता है।
अनुष्का एक लेखिका और एक चित्रकार है|
Very nicely written. Great artwork -are all done by Anushka as well ? I am interested.
Pleasure or pleasuring oneself is another way of saying masterbation since you asked.