लेख – अनुषा भट द्वारा
चित्र – मैत्री दोरे द्वारा
अनुवाद -प्राचीर
२०११ में जब मैं पन्द्रह साल की थी तब मैंने पहली बार फेसबुक पर मेरी और क्रिस्टन स्टीवर्ट की साथ में फ़ोटोशॉप की हुई फ़ोटो लगाई थी| वही क्रिस्टन स्टीवर्ट जो ‘ट्वाईलाईट’ की बेला थी| वैम्पायर और भेड़िये नुमा मानवों के बीच प्यार- तकरार की कहानी की हीरोइन l जानी मानी किताबें जिसपे बढ़िया फिल्म भी बनीं| जिसने दुनियाभर में मेरे जैसे कई लोगों का दिल चुरा लिया था|उसमें वो एडवर्ड नाम के वैम्पायर को प्यार करती है और वहीँ दूसरी ओर जैकब नाम के भेड़िया मानव का भी दिल उस पर आ जाता है| एक तरह का लव ट्रायंगल कह लो| हाँ, तो मेरा फोटोशॉप वो इस्तेमाल काम चलाऊ था| पर मैं फिर भी खुश थी कि उसमें बेला की बाहों में मैं थी, वो एडवर्ड नहीं| सच कहूँ तो मैं खुद को बेला को किस करते हुए फ़ोटो लगाना चाहती थी| पर उस एंगल में खुद की फ़ोटो नहीं ले पाई| आईडिया काफ़ी धाकड़ था| पर मुझे अपने चाचा को हार्ट अटैक नहीं देना था| जो मेरी हर पोस्ट को बड़ी श्रद्धा से लाइक करते हैं|
उस समय तो एडवर्ड का किरदार निभाने वाले रोबर्ट पेटिंसन की हंसी और बिखरे बालों पर दुनिया फ़िदा थी| मैं और मेरे दोस्त लंच ब्रेक में उसके बारे में ही डिस्कस करते थे| हम उन लोगों में से थे जिन्होंने चारों किताब पढ़ी थीं| इसलिए हमें ही रोबर्ट की हंसी के बारे में बात करने की परमिशन थी|
मुझे याद है जितनी शिद्दत से हम रोबर्ट के बारे में बात करते थे, उस तरह क्रिस्टन स्टीवर्ट के बारे में नहीं करते थे| मुझे तो इसकी एक ही वजह समझ में आती है| वो एडवर्ड की तरह चमकती नहीं थी|
एक बार बायोलॉजी क्लास में सेल डिवीज़न(मायटोसिस) के बारे में सिखा रहे थे| पर इसके बारे में मुझे पहले से ही काफ़ी जानकारी थी| जब एडवर्ड और बेला सेल के एनाफेज़ और मेटाफ़ेज़ के बारे में बहस कर रहे थे, उस के चलते मैंने भी इसके बारे में काफ़ी पढ़ा था| इतना पढ़ा था कि मैं क्लास में टॉप कर जाती| पर एग्जाम में सेल के अलावा घुटने के बारे में भी सवाल आये थे| अब जब बेला को घुटने की हड्डियों की परवाह नहीं थी, तो भला मैं कैसे उसके बारे में पढ़ती|
जब मैंने ट्वाईलाईट सीरीज की दूसरी किताब ‘न्यू मून’ पढ़ी, तो भाई साहब, मेरे गुस्से का तो ठिकाना ही नहीं था| वो कमीना| “उसे भूल जाओ, भूल जाओ, भूल जाओ” मैं उसको देखके यही जपती रहती l यह जानते हुए की बेला उसे नहीं भूल पायेगी| इंग्लिश क्लास में हमें ‘पेन’ (दर्द) के ऊपर निबंध लिखना था| और उस वक़्त मुझसे ज़्यादा दर्द को कौन समझ सकता था| तो मैंने अपने दर्द के साथ साथ बेला के दर्द के बारे में भी लिखा| यहाँ तक कि एडवर्ड के दर्द के बारे में भी लिखा| और नतीजा क्या हुआ? मुझे ‘सी’ मिला और टीचर ने कहा कि मुझे यह टॉपिक सही से नहीं समझ आया|
मुझे बेला की स्कूल फ्रेंड जेसिका बहुत पसंद थी| वो एडवर्ड जैसे नहीं थी| वो दयालु थी और लोगों का ख्याल रखती थी| वो काफ़ी सुन्दर भी थी| मेरे अन्दर एक छोटी सी आशा थी कि बेला और जेसिका एक दूसरे को किस करें| पर मेरे एक दोस्त ने बताया था कि केवल एक लड़का और लड़की ही किस कर सकते हैं| मेरा मन किया कि दोस्त से सवाल करून: क्यों? लिपस्टिक खराब हो जायेगी इसलिए?
इसी दौरान मेरे हाथ लग गयी फैन-फिक्शन(वो कहानियाँ जो पोपुलर कहानियों के फैन्स लिखते हैं, किरदार वही -के- वही होते हैं, पर कहानी वो होती है, जो वो देखना और पढ़ना चाहते हैं| अगर ऐसा होता तो कैसा होता…. टाइप की कहानियां|) इन्हीं कहानियों में मुझे जेसिका और बेला के किस करने वाली कई कहानियाँ मिलीं| इस बात से मुझे कोई फ़र्क नहीं पड़ा कि उनके लिखने का अंदाज़ थोड़ा कच्चा था | उनसे बुरी तो मेरी किस्मत लिखी गयी थी| मुझे बुरा लगता था कि मेरा कोई ऐसा दोस्त नहीं था जो मेरी तरह बेला और जेसिका की कहानी पढ़ना चाहे| केवल हन्नाP1 नामक एक राइटर थी, जो मेरी बातों से सहमत थी| उसने जेसिका और बेला के ऊपर कई कहानियाँ लिखीं थीं, जिसमें बात तो किस से भी आगे चली गयी थी|
और जले में घी का काम इस बात से हो रहा था कि असल ज़िन्दगी में क्रिस्टन स्टीवर्ट और रोबर्ट पेटिंसन रेलशिनशिप में थे| इस दर्द को मैं अपने दोस्तों के साथ बाँट सकती थी| हम में से किसी को भी यह रिश्ता मंज़ूर ना था| मेरे दोस्त बोलते, वो इसको कैसे डेट कर सकता है? और मैं सुन सुन के तंग आ गयी थी l
जैसे ही इस श्रृंखला की तीसरी किताब ‘मिडनाइट सन’ लीक हुई, मैंने तुरंत उसको डाउनलोड कर देखा| मुझे बेला को एडवर्ड की आँखों से देखना था| मैं चाहती थी, कि जैसे वो ब्लू गाउन पहने बेला की ख़ूबसूरती पे कुछ बढ़िया सा कहता है, वैसा ही वो मेरी भी तारीफ़ करे| और जिस तरह वो उसे अपनी बाहों में लेकर डांस करता है, वैसा ही मेरे साथ भी करे|
इन सबके अलावा दुनिया में केवल एक और शख्स था जो मेरी दिल में गिटार बजा देता था| शाह रुख खान| मेरी आँखें सिर्फ उसी को टकटकी बांधे देख रही थीं जब उसके ट्रेन पर छैयां छैयां डांस किया था| जब उसने ‘पलट’ बोला था तब मैं भी पलटी थी| बिल्कुल दिलवाले दुल्हनिया..जैसा| जब मैं उसके डिम्पल और उसके बिखरे बालों की बातें अपने दोस्तों से करती थी, उस टाइम उनको मेरी बातें बिल्कुल समझ आती थी|
मैं भुवनेश्वर में रहने वाली पंद्रह साल की लड़की थी| जिसे अपने अंदर के क्वीरपन की भी ज़्यादा समझ नहीं थी| जैसा वो बेला के लिए फ़ील करती थी वैसा केवल एक ही शख्स फ़ील करता था| वो था एडवर्ड| मिडनाइट सन मैंने ऐसा पढ़ा, जैसे कि वो मेरे घायल दिल के लिए संजीवनी बूटी हो|
मैं कभी कभी सोचती, कि बेला को सेट डोसा पसंद होगा या मसाला डोसा| या फ़िर उसे मसाला डोसा सांभार के साथ पसंद आएगा या मटन करी के साथ? मैं मन ही मन चाहती थी, कि कहीं उसे सांभार ना पसंद हो| फ़िर सोचती कि वो कैसी कॉफ़ी पीना पसंद करेगी| इससे कोई फ़र्क नहीं पड़ता| मैं उसे फ़िल्टर कॉफ़ी पसंद करवा कर ही रहूँगी| वरना मटन करी गले से कैसे उतरेगी|
इसीलिए, कुछ हफ़्ते पहले, जब मेरी एक करीबी दोस्त ने ‘मिडनाइट सन’ की बड़ी महंगी कॉपी खरीदने के बारे में ट्वीट किया तो मैंने भी वही किया जो कोई भी ट्वाईलाईट का फैन करता|
मैंने उसकी पायरेटेड कॉपी डाउनलोड कर ली|
मुझे उतना बुरा नहीं लगा जितना लगना चाहिए था| जिस तरह से ट्वाईलाईट की लेखिका स्टेफनी मेयेर ने सदियों पुराने अमरीकी कबीले ‘क्वीलेट’ के तौर तरीकों का जिस तरह इस्तेमाल किया था, उसके सामने मेरी चोरी छोटी थी| उसके पास और कोई आईडिया नहीं था और मेरे पास पैसे नहीं थे| ये किताबें इतनी अच्छी से नहीं लिखी गयीं थी पर गॉडफादर से अच्छी थी| सॉरी, भाई लोग|
मैंने एक ही दिन पूरी किताब चट कर ली थी| अगले दो दिन, मेरी हर बात में केवल ‘मिडनाइट सन’ का ही ज़िक्र था| मेरे दोस्तों को यह समझाना मुश्किल था| ट्वाईलाईट सीरीज का फैन होना कोई आसान काम नहीं था| और उससे भी मुश्किल था, वो ट्वाईलाईट फैन होना जिसे एडवर्ड में कोई इंटरेस्ट नहीं था| ना ट्वाईलाईट को नापसंद करने वाले आपकी बात समझते थे| और ना ही ट्वाईलाईट को पसंद करने वाले| बायसेक्सुल लोगों की भी यही कहानी है|
काश मैं हन्नाP1 को ढूँढ कर, दोबारा जेसिका और बेला के बारे में बात कर पाती|
पर इस बार मुझे सेल डिवीज़न(मायटोसिस) के बारे में कोई दिलचस्पी नहीं थी| मेरा दिल इस कहानी की विलेन विक्टोरिया पर आ गया था| क्या करूँ, मुझे बदमाश लड़कियाँ पसंद आती हैं| खासतौर पर वो, जो हीरो को चुनौती देती है, तेज़ ज़बान रखती हैं| जो थोड़ी कमीनी होती हैं और आप उन्हें दिलो जान से नफ़रत करते हैं|
मुझे पक्का नहीं पता था कि मुझे बेला क्यों पसंद थी| पर आखिर में मुझे चमका, कि मुझे बेला नहीं, क्रिस्टन स्टीवर्ट पसंद थी|
क्रिस्टन स्टीवर्ट को ट्वाईलाईट किये हुए काफ़ी समय हो चुका है| वो वही स्कूल गर्ल वाली फ़ील नहीं देती है| इसीलिए अब मिडनाईट सन देखने में वो बात नहीं रही| वो अब दूसरी औरतों को किस करती है| यह देख कर मेरे मैच्यूर, दिल के खिले हुए समलैंगिक हिस्से को, थोड़ा आराम पहुँचता है| बाकी आराम तब मिलेगा जब मैं फोटोशॉप में माहिर जो जाऊंगी | फिर वहां मैं उसे किस कर पाऊँगी| अगर मेरे अंकल को दो लिपस्टिक के साथ मिक्स होने वाले दाग से दिक्कत है तो दाग अच्छे हैं|
*बाइसेक्सुअल: द्विलिंगी
अनुषा भट बेंगलुरु में डेवलपमेंट स्टडीज की छात्रा हैं| खाली समय में उन्हें पेड़ों के नीचे बैठ, पत्ते गिरता देखना पसंद है|
Absolutely lovely!
I laughed out loud at the comment about two lipsticks being messier. Beautifully written! Also, I am with you about Godfather being worse than Twilight. Ugh. Twilight was a better love story, lol.