“मैं अपनी सहमति वापस लेती हूँ,” मैंने हँसते हुए कहा, ये सोचकर कि इससे स्थिति की गंभीरता थोड़ी कम हो जाएगी और मुझे वो दोबारा नहीं करना पड़ेगा“
नैन्सी (तब 25, अब 28 वर्ष)
कॉलेज में मेरे दो गहरे संबंध थे, और संजोग से दोनों ही नारीवादी लोग थे। मेरे दोनों बॉयफ्रेंड मुझे प्यार करने वाले और मेरी बात सुनने वाले शिष्ट पार्टनर्स थे। तो स्वाभाविक रूप से, मुझे ऐसा लगता था कि सभी रिश्ते सहमति की अवधारणा पर ही काम करते हैं। और तभी मेरा पहला आकस्मिक (casual) संबंध शुरू हुआ।
वह मेरे से कुछ साल बड़ा, एक पुराना कॉलेज मित्र था। कुछ दिन हम अच्छे दोस्त रहे, और फिर वो निरंतर मेरे पीछे पड़ गया। मेरे शुरुआती विनम्र अस्वीकृति ने सीधे–सीधे इनकार का रूप लिया और उसने कुछ महीनों तक मेरे साथ सभी संपर्क तोड़ दिए, जिसके बाद उसने बड़े पैमाने पर माफ़ी भी मांगी। उसने कहा कि वह सिर्फ दोस्त बनना चाहता था, इसलिए एक दिन मैंने उसे अपने घर आमंत्रित कर लिया। उसने खुद डिनर बनाने का प्रस्ताव रखा और बड़े विस्तार से समझाया कि कैसे स्पेगेटी एग्लीओ ई ओलियो (एक इटालियन व्यंजन) बनाए जाते हैं । वैसे ये व्यंजन मैं नींद में भी तैयारी कर सकती थी। फिर भी मैं शालीनतापूर्वक मुस्कुराई और उसे बताया कि मैं उसके खाना पकाने के कौशल से प्रभावित थी।
हमने बाद में एक फिल्म देखने का फैसला किया। स्टार वार्स: ए न्यू होप शुरू हुए लगभग दो मिनट ही हुए थे, कि उसने इधर घूमकर मुझे किस किया। मुझे आश्चर्य हुआ, लेकिन फिर मैंने सोचा, कि चलो ठीक है, मैं बोर हो रही हूँ, और यहाँ अंधेरा भी है, मुझे उसे देखने की भी ज़रूरत नहीं पड़ेगी। और वह इतना बुरा किसर भी नहीं है। तो मैं भी उसका साथ देने लगी। यह संतोषजनक अनुभव तो बिल्कुल नहीं था, लेकिन इससे क्या फर्क पड़ता है। तो मैंने लैपटॉप को दूर रखा। और फिर हमने सेक्स करने की कोशिश की, लेकिन ज़ाहिर है कि कंडोम रास्ते में आ रहा था, तो क्या बिना ‘उस रुकावट‘ के कोशिश की जाए? मैंने इनकार कर दिया, लेकिन उसने जोर दिया, “अरे, बस थोड़ा सा,” और फिर मेरे जवाब का इंतज़ार किये बिना ही खुद को अंदर ढकेलने लगा। मैंने जल्दी से अपना पोजीशन बदला और कहा, “सॉरी, मुझे नहीं लगता कि ये आज रात हो पाएगा।“
“ठीक है, लेकिन मुझसे वादा करो तुम्हारा पहली बार मेरे साथ ही होगा।“
“तुम जानते हो कि मैं ऐसा नहीं कर सकती-“
“मुझे वादा करो कि मैं ही होऊँगा, कोई और नहीं होगा।“
“लेकिन मैं ऐसा नहीं-“
“नहीं, सिर्फ मैं।“
“नहीं, मैं कोई वादा नहीं कर सकती।“
मैं उस पल सशक्त सा महसूस करने लगी। हमने कुछ हफ्तों तक हमारी ये व्यवस्था जारी रखी। उसने मेरे शरीर के लगभग हर हिस्से की प्रशंसा करने के लिए कई विशेषण इस्तेमाल किए, और मैं बहुत सोचकर भी जो थोड़ा कह पाई, वो था “मुझे तुम्हारी बांहें पसंद हैं। वो काफी मजबूत हैं।” उसे ये सुनना भी अच्छा लगता था। जब मैं उसके जननांगों की ओर जाती थी, उसे वो भी बहुत पसंद था, कभी–कभी वह “चलते–चलते एक और” मुखमैथुन की मांग करता था – लेकिन शायद ही कभी उसने भी परस्पर वैसा कुछ किया हो।
एक दिन, उसने मुझसे पूछा, “तो, निगलने के बारे में तुम्हारा क्या ख़याल है?”
“नहीं, मुझे वो पसंद नहीं है” मैंने जवाब दिया।
“हाँ मैं समझ सकता हूँ।“
बीस मिनट बाद, जब मैं नीचे से ऊपर आने लगी थी, उसने मेरा सिर वापस नीचे किया और मुझे मजबूर होकर उसका वीर्य मुंह में लेना पड़ा। मजबूत बाहें। हालांकि, फिर उसका हाथ हटाकर मैं उठने में कामयाब रही। मुझे उल्टी सी आयी, घृणा भी हुई। लेकिन 10 मिनट बाद ही मैंने खुद को खुद को समझा दिया कि वह उस पल में बह गया था। तो मैं वापस बिस्तर पर उसके बगल में आ गयी, अगली सुबह उठी और उसे विदा किया।
अगली बार जब वह मुझसे फिर वही काम कराना चाहता था, जिसमें उसे बहुत मज़ा आता था, हम सार्वजनिक जगह पे अपनी कार में बैठे थे। मैंने बताया कि मैं उस विचार से सहज नहीं थी। “मैं अपनी सहमति वापस लेती हूँ,” मैंने हँसते हुए कहा, ये सोचकर कि इससे स्थिति की गंभीरता थोड़ी कम हो जाएगी और मुझे वो दोबारा नहीं करना पड़ेगा।
“ओह आओ, जल्दी से नीचे जाओ,” ये कहने के साथ ही, बिना किसी चेतावनी के, उसने मेरा चेहरा अपनी गोद में धकेलना शुरू कर दिया। हालांकि, इस बार, मैं हार नहीं मानने वाली थी। मैं उठकर बैठ गई। “आसपास लोग हैं, अभी ये नहीं हो पाएगा। क्यों न हम गाड़ी में थोड़ा घूमते हैं, बातें करते हैं? “मैंने उससे पूछा।
“नहीं, देर हो चुकी है, मुझे घर जाना है,” मुझे ये रूखी प्रतिक्रिया मिली। तो उसने मुझे घर छोड़ दिया। और उसकी लाल सिविक कार को जाता देख मुझे ये एहसास हुआ कि बस मैं अब और नहीं झेल सकती हूँ। ये नाव अब बह निकली थी।
लेकिन एक सप्ताह बाद उसने मुझे एक आखिरी बार कॉल किया।
“मैं तुम्हारे पैरों के बारे में ही सोचता रहता हूँ।“
“सोचना बंद करो क्योंकि मेरी तरफ से सब खत्म हो चुका है। मैं ये सब अब और नहीं कर सकती हूँ। “
“ओह, लेकिन क्यों?”
“क्योंकि मैं नहीं करना चाहती हूँ।“
“पर क्यों?”
“क्योंकि ऐसा मैं कह रही हूँ। मैं तुम्हारे साथ फिर से कुछ भी नहीं करना चाहती हूँ। “
“ओह। समझा। अच्छा ठीक है।“
“अच्छा, तो ध्यान रखना, और-“
“क्या तुम्हारे पैरों की एक आखिरी तस्वीर मिल सकती है?”
“मैं चिल्लाई, भीख मांगी, कि वो रुक जाए, ताकि कहीं आनंद से मैं मर ही ना जाऊँ; और जब वो रुका तो फिर से उसे चिल्लाकर दोबारा शुरू करने को कहा।“
माया (तब 24, अब 24 वर्ष)
मैं इस लड़के से लगभग एक दशक पहले मिली। हाईस्कूल में मैं उसके लिए पागल थी, लेकिन तब वो मेरी पहुँच से बाहर था, क्योंकि उस समय उसकी एक प्रेमिका थी। हालांकि, हम अच्छे दोस्त थे पर समय के साथ हमारा संपर्क टूट गया। ओह, और वह जानता था कि मैं उसे पसंद करती थी।
फास्ट फॉरवर्ड करके पिछले साल पे आती हूँ, जब हम दोबारा मिले, और वो पहले से कहीं ज्यादा हॉट हो गया था। हम दोबारा संपर्क में आये और मुझे लगा कि वह मेरे साथ काफी फ्लर्ट कर रहा था। तो एक दिन मैंने भी आगे बढ़कर उसे बोल दिया कि मैं उसके साथ शारीरिक संबंध बनाना चाहती थी। कुछ दिनों के भीतर ही उसने मेरी ये इच्छा पूरी की, लेकिन उस रात मैं कामोन्माद (cum) तक नहीं पहुँची। संभवतः क्योंकि मैं बहुत परेशान थी या शायद कुछ और।
कुछ दिन पहले मैंने उसके साथ एक और रात बिताई और इस बार, भगवान! मुझे कामोन्माद प्राप्त हुआ। दो बार, तीन बार, ना जाने कितनी बार, सारी रात, जब वह मुझे भूखी नज़र से देख रहा था, मुझे कसकर पकड़े हुए, और कभी–कभी बीच में मेरे होठों का पान करते हुए। मुझे नहीं पता था कि मेरा शरीर इतने अधिक आनंद को संभाल सकता है, मेरे पैर जेली (jelly) हो चुके थे। सच कहूँ तो मुझे यह भी नहीं पता था कि एक औरत का शरीर एक के बाद एक इतने सारे उन्माद का अनुभव करने में सक्षम था। मैं चिल्लाई, भीख मांगी, कि वो रुक जाए, ताकि कहीं आनंद से मैं मर ही ना जाऊँ; और जब वो रुका तो फिर से उसे चिल्लाकर दोबारा शुरू करने को कहा।
मैं एक घायल कोहनी और घुटने और एक सूजे हुए भग–शिश्न (clit) के साथ घर वापस गई। और तब से उस रात के बारे में लगातार सोच रही हूँ, और उस आदमी के बारे में, जिसे मैं बचपन से जानती हूँ, और जो मेरी बाहों में नग्न मौजूद था, और जो मुझे बार–बार उन्माद का आनंद दे रहा था, एक ऐसे शहर में जो, जहाँ हम पहली बार मिले थे, उससे बहुत दूर था।
“मुझे बदलाव की जरूरत महसूस हुई। मैं किसी अन्य अपरिचित शरीर के साथ यौन संबंध रखने की कल्पना करने लगी, जिससे मैं आनंद की गोद में समा जाऊँ।“
जिंजर (तब 35, अब 42 वर्ष)
दो बच्चों के साथ विवाहित महिला होने के नाते, शादी के 15 साल बाद सेक्स एक नीरस गतिविधि बन गया था। हालांकि हम अलग–अलग अवस्थाएं (positions) ढूंढने और आजमाने में पीछे नहीं थे, फिर भी मुझे बदलाव की ज़रूरत महसूस हुई। मैं किसी अन्य अपरिचित शरीर के साथ यौन संबंध रखने की कल्पना करने लगी, जिससे मैं आनंद की गोद में समा जाऊँ और जो मेरे शरीर पर ऐसी सुगंध छोड़ जाए जिसकी मैं आदी नहीं हूँ
हालांकि मेरे मन में कोई विशेष व्यक्ति नहीं था, लेकिन मेरी अपनी इस कल्पना पर कार्य करने की इच्छा इतनी तीव्र थी कि मैंने अपने चारों ओर अवसर ढूंढना शुरू कर दिया। जब मैं एक पहाड़ी शहर शिफ़्ट हुई तो सौभाग्य से मेरे पड़ोस में एक आकर्षक व्यक्ति रहता था, जो मुझमें रुचि दिखाने लगा था, या शायद मैंने ऐसी कल्पना की। खैर, ज्यादा इंतजार किए बिना, मैंने उसके साथ फ़्लर्ट करने की हिम्मत की और जल्द ही मेरी अनुचित भावनाओं का पारस्परिक रूप से आदान–प्रदान होने लगा।
चैटिंग के सत्र और चुराकर दिए और लिए गए चुम्बनों के साथ, हम अब आगे बढ़ने के लिए तैयार थे। बस हमारे पास कोई सही जगह नहीं थी, क्योंकि वह भी विवाहित था। हम होटल में कमरा लेने का जोखिम नहीं उठा सकते थे क्योंकि वह शहर में ज्यादातर लोगों को जानता था।
लेकिन सौभाग्यवश, हमने सचमुच एक दैवीय स्थान ढूंढ लिया। एक पहाड़ पर काफी आरामदायक जगह, एक छोटा ऊँचा स्थान, जो बिस्तर बनने को बिल्कुल तैयार था। यूँ तो वो स्थान एक मंदिर के पास था, लेकिन उस मंदिर तक हमारे अलावा और कोई नहीं आता था।
हमारे ‘सेक्स निवास‘ पर समाप्त होने वाली पूरी दिनचर्या रोमांचक हुआ करती थी। हम अपने–अपने बाइक पर वहाँ आते थे, और मैं उस बिस्तर रूपी जगह पर फैलाने के लिए एक कंबल लेकर आती थी, और फिर हमारे शरीर अपने अस्तित्व का नया अर्थ ढूंढने निकल पड़ते थे। उसके अजीब (kinky) विचार और मेरा उनका अनुपालन करने का उत्साह, दोनों की कोई सीमा नहीं थी। उसने मेरे अंदर छुपे यौन पिशाचों को जगाया और मुझे स्वर्ग सी दुनिया में ले गया। मेरा शरीर अपने आस–पास की दुनिया भूलकर उस तीव्र अंतरंगता के साथ आनंद के सागर में गोते खाने लगा। मैं उसके शरीर के हर हिस्से से प्यार करने लगी, और उसका शिश्न तो मानो आज तक मैंने जितनी भी चीज़ें देखी हैं, उनमें सबसे खूबसूरत था। उसका आकार, लंबाई, रंग, बनावट सबकुछ मेरे लिए बिल्कुल परिपूर्ण था। उसके सौंदर्यपूर्ण रूप को देखकर मेरी इच्छा होती थी कि मैं उसका एक चित्र बनाऊँ। मुझे उसे मुखमैथुन देना, ज़ोर से चूसना, बहुत पसंद था। मुझे लगता है कि उसके भव्य शिश्न के प्रति मेरी एक अलग ही सनक थी, और उसके साथ विशेष संबंध भी था जो मुख्य रिश्ते के साथ साथ एक सामांतर अलग पटरी पर चल रहा था।
ठंडी दोपहरों और शामों में खुले आसमान के नीचे यौन संबंध बनाना इतना स्वप्निल था। चारों ओर पेड़ की गंध, कीड़ों की अजीब–अजीब आवाज़ें, दूर से मंद–मंद आती रोशनी और तेज़ ठंड, हमें करीब आने को मजबूर करती हुई, और उसका नग्न शरीर मुझे पूरी तरह से अपने में समेटता हुआ। जितना मैंने मांगा था, उससे कहीं अधिक पाया था। हमने एक–दूसरे के साथ ऐसी कई शामें बितायीं, और हर बार मेरा शरीर और भी जीवंत महसूस करता था।
इस मिलन में मेरी सबसे कीमती याद वो है, जब वह मेरे अंदर धीरे–धीरे एक तालबद्ध नृत्य सा करते हुए हल्के धक्के दे रहा था, और मैं उसके नीचे उसकी त्वचा और पसीने में पूरी तरह से डूबी हुई, अपने कूल्हे को उसी धुन पे लालसा के साथ धकेलती हुई, अंधेरे आकाश में सितारों की चमक से घिरे हुए पूर्णिमा के चाँद को देख रही थी और और सोच रही थी कि काश वो समय वहीं रुक जाए, ठीक उसी वक़्त।
“जब आप अपनी चेतना खो देते हैं और आप यह सोच भी नहीं पाते हैं कि आप किस हद तक आनंद उठा रहे हैं, तो समझ जाईये कि वो समय वास्तव में अच्छा बीता है“
मिस जे (तब 21, अब 23 वर्ष)
यह पहली बार था जब मैंने सेक्स किया था लेकिन तकनीकी रूप से मैं कुंवारी (virgin) नहीं थी, क्योंकि एक संक्रमण की वजह से मुझे फालतू सा योनि टैबलेट लेना पड़ा, जिसने मेरे योनिच्छद (hymen) को भी फाड़ दिया।
मैं ओके–क्यूपिड (OkCupid) के माध्यम से इस लड़के को मिली थी। एक साहित्यिक उत्सव के दौरान हमने पहली मुलाकात की, यौन संबंध बनाया, और फिर कई बार मिले। लोदी गार्डन का बहुत ही प्रतिष्ठित स्थान हमारा स्वर्ग था। मैं उत्सुकता से यौन संबंध बनाने का इंतजार कर रही थी और आखिर वह दिन आ गया जब मेरा सपना पूरा होने वाला था। जैसे ही उसने मेरे अंदर अपना शिश्न डाला, मैं दर्द से चिल्लाने लगी। मैंने कभी भी अपने जीवन में इतना दर्द और इतना कसाव महसूस नहीं किया था। उसने मुझे पूरे समय सांत्वना दी, वह हिल नहीं रहा था ताकि मैं उस परिधि में खुद को सहज कर सकूं। और अंत में, मेरे चिल्लाते हुए ये कहने के साथ कि “भाड़ में जाओ, इसे बाहर निकालो, मैं ये नहीं कर सकती,” हमने उस प्रक्रिया को वहीं समाप्त कर दिया। लेकिन मैं नहीं चाहती थी कि मेरे पहली बार के अनुभव की याद ऐसी बने। इसलिए हमने फिर शुरुआत की और इस बार मैं वास्तव में जल्दी ही गीली हो गई। उसने मुझसे पूछा कि क्या हमें फिर से कोशिश करनी चाहिए और मैंने तुरंत हाँ कह दी। इस बार, दर्द कम हो चुका था, और ओह, मुझे ये ‘पूर्ण होने का एहसास‘ क्या पसंद आ रहा था! और जैसे ही उसने आगे–पीछे हिलना शुरू किया, मुझे सब अच्छा लगने लगा। उस भावना को जाहिर करने के लिए कोई शब्द नहीं हैं। वो निरंतर आगे –पीछे होने की प्रक्रिया, और उसका बार–बार मेरी गर्दन को चूमना, यह सब सचमुच अद्भुत था। उसके बाद हमने कई बार सेक्स किया, लेकिन ये पल हमेशा मेरी यादों में रहता है। जब आप अपनी चेतना खो देते हैं और आप यह सोच भी नहीं पाते हैं कि आप किस हद तक आनंद उठा रहे हैं, तो समझ जाईये कि वो समय वास्तव में अच्छा बीता है।
“मैं आज भी कभी–कभी सेक्स के बारे में सोचती हूँ, और उस पल को याद करती हूँ जब मैं उसके शरीर से चिपक जाया करती थी और फिर हम सो जाते थे“
जय (तब 29, अब 40 वर्ष)
हम आकस्मिक डेटिंग कर रहे थे हालांकि हम विभिन्न शहरों में रहते थे। मैं उससे मिलने के लिए सप्ताहांत में यात्रा किया करती थी। वह मेरे अनुभव में पहला आदमी नहीं था और निश्चित रूप से आखिरी भी नहीं था, लेकिन हाँ, वो मुझे एक फव्वारे की तरह धारा निकालने (squirt) को मजबूर कर दिया करता था! उसका बेबुनियाद जुनून और मुझे आनंद देने की बेहिसाब खोज, उनका मुकाबला कोई नहीं कर सकता था। हम अपनी खोज में बिस्तर पर घंटों बिताया करते थे। समय के साथ, जैसे–जैसे हम एक–दूसरे के साथ अधिक सहज महसूस करते गए, सेक्स भी और बेहतर और विचित्र (kinkier) होता गया। अलौकिक सेक्स से परे, वह आम तौर पर एक घटिया आदमी था, लापरवाह तरीके का लैंगिकवाद (casual sexist), जातिवाद और शारीरिक सक्षमता पे अंतर करने वाला (ableist) इंसान। आखिरकार हम अलग हो गए। मैं आज भी कभी–कभी सेक्स के बारे में सोचती हूँ, और उस पल को याद करती हूँ जब मैं उसके शरीर से चिपक जाया करती थी और फिर हम सो जाते थे, बहुत संतुष्ट सेक्स के बाद थके शरीर और एक दूसरे से लिपटे अंगों के साथ।
“मुझे लगता है कि मैं हमेशा इस चिंता में रहती थी कि अगर मैंने साथ नहीं दिया तो मुझे जज किया जाएगा“
ओपो (तब 30, अब 31 वर्ष)
मैं अपने उस वक़्त के दोस्त, और आज के पार्टनर, से मिलने अमेरिका गई थी। वह फ्लाइट में मुझसे लिपट कर रहना चाहता था और मैंने उसे ऐसा करने दिया। मैं हवाई–जहाज़ की थकान से (jetlagging) पहली रात सो नहीं पाई। तो मैं बिस्तर पर इधर से उधर कर रही थी, जबकि उसकी बाहें मेरे चारों ओर लिपटी हुई थीं। हम एक–दूसरे के प्रति आकर्षित हुए और उसके बाद जहाँ तक मुझे याद है, हमने एक–दूसरे को सहलाना शुरू कर दिया।
जब हम यौन संबंध बनाने की उस प्रक्रिया में संलग्न थे, मैंने पूछा, “प्लीज़, अगर हम सेक्स ना करें तो?” दरअसल मैं ये कहना चाहती थी कि “मैं सेक्स नहीं करूँगी।” मुझे उसके चेहरे की चौंकने वाली अभिव्यक्ति अभी भी याद है। वो रुक गया, और हम जो भी कर रहे थे, उसे जारी रखने से पहले मुझे सहमति पर एक बड़ा सा व्याख्यान दे डाला।
जबकि मैं सहमति का मतलब समझती हूँ, फिर भी वह मेरी प्रक्रिया में लागू नहीं हो पा रहा था। लोगों के साथ मेरी सीमित शारीरिक अंतरंगता भी शायद एक कारण हो । अंत में, मुझे लगता है कि मैं हमेशा इस चिंता में रहती थी कि अगर मैंने साथ नहीं दिया तो मुझे जज किया जाएगा। भले ही मैं खुद को नारीवादी (feminist) मानती हूँ, यह आश्चर्य की बात है कि मेरे दिमाग में बसी कुछ मान्यताओं ने कभी भी क्रियाशील विचारों का रूप नहीं लिया।