औरतों की मोटी छोटी मस्तियों वाले, मस्त मलयालम गाने - Agents of Ishq

औरतों की मोटी छोटी मस्तियों वाले, मस्त मलयालम गाने

लेख – ओशिन आनंद द्वारा

अनुवाद: धर्मेश

मलयालम दुनिया की सबसे सेक्सी ज़ुबान है। मुझे तो ये फ्रेंच से भी ज्यादा सेक्सी लगती है क्योंकि इसके लहज़े में ही इसकी शरारतें छुपी हुई हैं। इसे बोल के तो देखें, ये आपकी जीभ को आपके मुंह के अलग अलग कोनों तक ले जाती है, कहीं जोर से छुआती है, कहीं हौले से। इसके लव्ज़ों में नज़ाकत  है,  प्रेमी को कहते हैं कामुकन , आँखों को कहते हैं ,मिझिकल l ये तंज भी कसती है, जैसे इस मुहावरे में “जोंक का कितना भी खयाल रखो, वो आखिर जाएगा तो कीचड़ में ही”।

भारत की अधिकतर फिल्में औरतों को आदमियों की नज़र से ही दिखाती हैं, जिससे औरतें खुद क्या महसूस करती हैं उन्हें पता ही नहीं चल पाता; जैसा आदमी चाहते हैं ,वो वैसा महसूस कर लेती हैं। प्यार में औरतें वाक़ई पागल होती हैं। सच्ची! ये औरतें प्यार में  जो बोलती हैं, वो सब कितना चीज़ी होता है , लेकिन अच्छा भी लगता है। तो ये रहे कुछ मलयाली गाने जो अलग अलग वक्त की औरतों के मज़े और प्यार के शरारती अंदाज को बयान करते हैं।

डिंगिरी डिंगल- कुरूप (20121)

हम “डिंगिरी डिंगल” को चलती हुई औरत की मटकती कमर की धुन मानते हैं। श्री लंका के तमिल गाने का ये वर्जन हमें 70- 80 के दशक की याद दिलाता है जब औरतें समाज के फफूंद लगे नियम तोड़ ही रही थीं। ये गाना सुनके तुम्हारा भी मन करेगा कि दाहिने कान के पीछे, बड़ा सा फूल लगाके अपनी फूलवाली स्कर्ट में लहराने लगो। हर किसी को ये गाना तो इसलिए भी पसंद आना चाहिए क्योंकि दुलकर सलमान ने इसे अपनी मखमली आवाज़ में गाया है। रोसम्मा, जिनके लिए  ये गाना गया है, वो सभी के सपनों की मल्लिका है। वो सभी के दिलों पर राज करती है और हम सभी रोसम्मा बनना चाहते हैं और कुछ हद तक हम सभी अपनी दुनिया में रोसम्मा हैं भी। इसका तो नाम ही कितना सेक्सी है, और वो तो गुलाब सी ही  है, अकेले, सुंद,र लेकिन उसे हाथ लगाना, आसान नहीं। ये तो वो औरत है जो जुल्फें झटक कर चलती है, जिसके इंतज़ार में मर्द बस स्टॉप पर आहें भरते हैं और वो बिना उनकी तरफ एक निगाह किए, अपने बेल बॉटम और हाई हील्स में टिक टॉक टिक टॉक कर, चल देती है। रोसम्मा वो औरत है जिसकी चाहत सबको है लेकिन वो किसी की नहीं। उसे बिलकुल परवाह नहीं है कि कौन उसे प्यार करता है, अपनी ऊंची हील्स पे सवार,  उसके पास नीचे देखने का वक्त ही नहीं । जब उसका आशिक वापस आता है तो वो उसके लिए सार्डिन करी बनाती है। आशिक़ के  लिए ये बड़ी बात है, मगर दरअसल रोसम्मा ये किसी के लिए भी करती। हमारी कल्पना में,   रोसम्मा गाने में गिटार की धुन पर कमर मटका रही  है और जो मर्द उसे देखकर ठंडी आहें भर रहे हैं, उनकी नादानी के मज़े ले रही है।

(5) Dingiri Dingale (Malayalam) | Kurup | Dulquer Salmaan | Sulaiman Kakkodan | Srinath Rajendran – YouTube

एंटे  खलबिले – क्लासमेट्स (2006)

ये तो एक कविता  है जिसे एक गुपचुप औरत ने, अपने नक़ाब के पीछे से, उसके लिए लिखा है जिसे वो छिप छिप के चाहती है। वो अपनी चाहतों के बारे में एक कविता लिखती है और उसे भी छुपा कर रखती है। उसकी छोटी छोटी ख्वाहिशें, सच पूछो तो  छोटी नहीं  हैं। वो जिसे पसंद करती है, उसे “मिरे दिल का चांद” बुलाती है। अगर आपको ये फ़ीलिंग आ रही है कि, “मोहतरमा, थोड़ा शांत हो जाइए” तो कृपया आप यहाँ से निकल जाएं। वो चाहती है कि वो उसके बाहों में गिटार की तरह रहे, उसे गिटार की तरह छुआ और महसूस किया जाए। वो पूछती है कि, “इतने करीब होने के बावजूद तुमने मुझे छुआ क्यों नही?”। किसी से प्यार में होने का जो नाज़ुक एहसास है उसे स्वीकार करना भी अपने आप में एक अजीब तरह की आज़ादी देता है। औरतों की ये भावनाएं आम तौर पर भारतीय फिल्मों में नही दिखाई जाती क्योंकि या तो वो ऐसे किरदार निभाती हैं जो मुश्किल से हाथ आने वाली होती है या फिर प्यार के लिए खुद के स्वाभिमान को खोने वाली। इन दो छोरों के अलावा बीच में और कुछ नहीं है। ये उन चंद गानों में से है जो हम जैसी औरतों को ये फ़ीलिंग देता है कि प्यार में पड़ने  से हम और शक्तिमान हो गए हैं । यह फ़ीलिंग आती है कि हमारी लाइफ़ हमारे कंट्रोल में है, हम ख़ुद अपने फ़ैसले ले सकते हैं । अब अगर ये छुपी हुई कविता, उस आदमी तक पहुँच जाए जिसके लिए ये लिखी गयी है, तब क्या होगा ?  

(31) Ente Khalbile | Classmates | Narein | Prithviraj | Vineeth Sreenivasan | Laljose – HD Video Song – YouTube

अयला पोरीचुरुंदे – वेनाली ओरु माझा (1979)

ये एक मुहब्बत का गीत है (एक खत की तरह) जो कि खाने के बारे में  लिखा गया है और कुछ हद तक एक इंसान के बारे में भी । लिखनेवाला रसिक है, खाने का शौक़ीन । हमने इस गाने को सबसे पहले तब सुना जब हम बारहवीं में थे और स्कूल के कल्चरल फेस्ट में इसे किसी  ने गाया था। हमें याद है कि कुछ लड़कों ने इस गाने का मज़ाक उड़ाया और खुदा का शुक्र है कि मैं आज उनमे से किसी को भी डेट नहीं कर रही हूँ क्योंकि उनके लिए रोमांस के मायने बड़े ही बचकाने थे। ये गाना एक नई नवेली दुल्हन ने गाया है जो अपने पति को चाहती है पर साथ ही खाने को भी बेइंतहा प्यार करती है। उसके लिए प्रेम की भाषा अपने पति के लिए खाना बनाना है। उसके लिए करीबी के मायने एक प्लेट तली हुई मैकेरल मछली या चावल के साथ स्वादिष्ट झींगा मछली की करी खाना है । कहती है ये खाना वैसा ही है जैसे ताज़े थम्बा फूलों का आचार । वो अपने आदमी को लुभाने के लिए खानों की एक लिस्ट बनाती है जिसे वो उसके साथ खाना चाहती है और पूरे गाने में उसे खाने पर बुलाती रहती है। गाना सुनते हुए आपको यही लगेगा कि वो पूरी तरह से  अपने आदमी के प्यार में पड़ गई है, ख़ासकर तब, जब वो वादा करती है कि उसे  सोंठ का पानी पिलाएगी का और जी भर खाने के बाद आराम करने के लिए एक चटाई बिछाएगी। इस औरत के हिसाब से अगर आपने मुहब्बत को खाने की तरह नहीं सराहा है तो फिर आपने मुहब्बत की ही नहीं!

(5) Malayalam Evergreen Film Song | Ayala Porichathundu | Venalil Oru Mazha | LR Eeswari – YouTube 

एल्लारम चोलन्नु – नीलकुइल (1954)

नीली तय करती है कि जिससे वो प्यार करती है, उसे वो ये तब बताएगी, जब वो अमरूद तोड़ रहा होगा। इस गाने में अमरूद एक किरदार है। वो एक नींबू के जितना बड़ा अमरूद खाती है और गाने लगती है। ये एक मुहावरों से भरा गीत  है। वो अपना खाया हुआ अमरूद, बड़ी अदा से फेंकती है और गाना चालू रखती है। वो इतरा के गाती है कि उस आदमी ने बेरहम होने का मुखौटा डाला हुआ है और सभी को ये लगता है कि वो बेरहम है,  पर उसे पता है कि वो गन्ने सा मीठा है। उसे अच्छी तरह से मालूम है कि उसे क्या चाहिए पर उस चाहत को  अपनी हथेलियों, पैर के नीचे और बदन के अंदर  छुपा रही है। जब वो उस हिस्से पर आती है जहाँ अब उसे अपने प्यार का इज़हार करना ही पड़ेगा तो वो आंखों में आंखे डाल कर बात करने की जगह चांद से बात करने लगती है। और फिर शर्माते हुए शादी करने की इच्छा ज़ाहिर करती है।  वो इतनी  बारीकी  से अपनी मनचाहे लग्न और  शादी की रीत को जताती है,  उससे समझ में आता है कि ये उसका बेहद पुराना सपना रहा होगा। वो वहीं नहीं रुकती और इसीलिए हमें ये और भी पसंद है। वो इससे आगे बढ़ कर, पान खाके होंठों को लाल करने के मज़े का ज़िक्र करती है, और फिर उस मज़े को किसी और गाढ़े मजे से जोड़ देती है। हमें तो नीली, स्टार लगती है।

ओशिन आनंद को लिखने से कोई खास दोस्ती नहीं। दिन में वो तमिल फ़िल्मों की हिरोइन होती हैं और रात में ना लिख पाने के चलते गुस्से से रो रही होती हैं। इन्हीं सब के बीच जर्नलिज़्म  भी पढ़ लेती हैं l

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