पेट्रोल बचाओ, क्रीप जीप मत चलाओ, सड़क का वो नक्शा जो इन्कार के बाद आपकी हालत सुधार सकता है - Agents of Ishq

पेट्रोल बचाओ, क्रीप जीप मत चलाओ, सड़क का वो नक्शा जो इन्कार के बाद आपकी हालत सुधार सकता है

 

बाहर बारिश हो रही है और आपको “रिम झिम गिरे सावन” गाने को आधिकारिक तौर से, आपकी ज़िन्दगी का गाना बनाने का मन  कर रहा है|आपके लगाव की पात्रा (वो लड़की जिसे हम ‘पीले दुपट्टे वाली’ के नाम से जानते हैं/बहुत पुरानी मित्र/सहपाठी/काम पर जान पहचान वाली है, वही, जिसके बाल, हमेशा ताज़ा शैम्पू किये हुए से लगते हैं ) आपके सामने  खड़ी है और अपना सूखा हुआ मुँह और पसीने से लथपथ हथेली को नज़रअंदाज़ करते हुए, आप अपनी बात ज़ाहिर करते हैं |

आप उसकी तरफ देखते हैं और उसकी प्रतिक्रिया का इंतजार करते हैं| अचानक आपके दिमाग में चल रहा गाना बदल जाता है, ‘,क्या बोलती तू’?

इस मुकाम पर, चाहे जो भी गुज़रे (इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि ‘क्या बोलती वो’ ), कैसे गाड़ी को  क्रीप (यानी रोंगटे खड़े करने वाला बन जाना ) चौक के रास्ते पर जाने से एक दम बचाया जाए |

स्तिथि 1 – दिल टूटने का हाईवे

वो आपको सीधेसीधे इंकार कर  देती है ,एक दम साफ़ बात |

हज़ारों रास्ते हैं, जो दिल टूटने के हाईवे की तरफ जाते हैं, लेकिन वो बहुत सारे रास्तों में से, एक पगडंडी, जो शार्ट कट है, चुन लेती है|

उसके बोल कुछ यूँ हो सकते हैं  –

उसे आप में कोई रूचि नहीं है/ ना ही वो प्यार की खोज में है |

वो अभी सिर्फ अपनी पढ़ाई और भविष्य  बनाने में रूचि रखती है |

उसका बॉयफ्रेंड है /आप दोनों की बातचीत के दौरान भी उसके माता पिता उसके लिए लड़का देख रहे हैं

-”आप मेरे पिता समान हो”/ “मेरे पसंदीदा अंकल भी यही बात कहते थे”/”मुझे ऐसा लगता है आप मेरे बहुत अच्छे  मार्गदर्शक बनोगे” |

साफ़ बातों के बावजूद ऐसा लगता है, वो बुरा नहीं मानेगी, सब कुछ पहले जैसा हो जाएगा और आपकी दोस्ती भी बरकरार रहेगी |आपको लगता है, आप बात संभाल लोगे ? या आपको दोस्त- दोस्त ना रहा वाली वाइब  अंदर से आ रही है?  चाहे जो लगे,  सलीके से पेश आयें| उसे असहज ना  महसूस करवाएं, उसे बार बार तंग ना करें| आप अपनी ऊर्जा का बेहतर इस्तेमाल, अपने आप को किसी और को पसंद करने की अनुमति देकर, कर सकते हैं,|

आप अपने भगवान् का शुक्रिया करें कि उसने बहुत सीधा और छोटा रास्ता चुना,बिना आपको घुमाये | आप आगे बढ़ सकते हैं |

स्तिथि 2 – चौराहे पे लाइन पार हो गई

उसका मुँह लाल हो  गया, शरमाने वर्माने की वजह से नहीं, इसलिए प्लीज़, थोड़ा उन लड्डूओं का वितरण रोक लीजिये| अगर वो –

गुस्सा करे या चिढ़ जाए |

धमकी दे, आपकी माँ /बॉस/प्रोफेसर /एंटी सेक्षुअल हर्रास्मेंट कमिटी /या पुलिस की|

यूँ लगता है, आपके इतने बेहतर प्रयासों के बाद भी उसने इनकार कर दिया, (या शायद आपने बॉलीवुड के प्यार की सीख पर कुछ ज्यादा ही भरोसा कर लिया था ) तो ये हो सकता था, आपने या तो बहुत बड़ी गड़बड़ की है या बहुत अनुचित कुछ कह दिया है। या, जो आपको सिर्फ़ हल्की सी इस्क़बाज़ी लगी थी वह उनकी सांस्कृतिक दायरे से बाहर चली गयी है।

शांत हो जाओ ,ये कोई घोर पाप नहीं है, आपने ऐसा कुछ बुरा नहीं किया है| लेकिन अगर उसे अच्छा नहीं लग रहा है, तो  ये उसका अधिकार है|

अपना बचाव पेश करने से या उल्टा खुद गुस्सा हो जाने से किसी का कोई भला नहीं होने वाला |

‘दिल पे मत लो यार’, ये शर्मनाक है पर इसे अपने दिल या अहम पे मत लो| अगर आपने अपने अहम- ईगो – पे ले लिया, तो  ये  आपको अच्छा आदमी तो नहीं बनाएगा,  बेकार इस बात को ज़रूरत से ज़्यादा बढ़ाता जाएगा| लेकिन, अगर आप गहरी सांस लोगे और उस शर्मनाक क्षण के बीत जाने का इंतजार करोगे, तो आप सही में आगे बढ़ सकते हैं|

स्तिथि 3 – इंकार का चक्रव्यूह

आपको लगता है, हँसी तो फँसी” एक सुविचार सत्य है ?

फिर से सोचो, अगर वो –

हँसी, पर जल्द बाज़ी में, एक तंग हँसी हँसती है |

थोड़ा सा हँस कर वो फिर से उसी काम में लग जाती है, जो वो पहले से कर रही थी |

कठोर लगती है|

आपने वाकई में उसे असहज महसूस करवाया है, लेकिन वो आपके साथ सख्त नहीं होना चाहती है या समझ नहीं पा रही है कि आपको कैसे मना करे |

हम ऐसे समाज में रहते हैं, जहाँ महिलाओं को उनका आराम स्तर मिलना मुश्किल है, तो आप वो ना बनें, जो ये परेशानी बढ़ाता है| अगर आप किसी महिला को पटाना  चाहते हैं तो उसके संकेत भी समझना सीखें | “आती क्या खंडाला “ साफ़ तौर से उक्त स्तिथि इस तरह आगे बढ़ने का संकेत नहीं है|

लेकिन मेरा क्या! ( बिना क्रीप बने, बुरा कैसे मानें)

आपको उसकी अस्वीकृती चुभ रही है,  आप शायद उदास महसूस कर रहे होंगे| ठीक है ! आपको बहुत बुरा लग रहा है| आपके पास दो विकल्प हैं- या तो ठीक होने में अपनी मदद कर  सकते हैं या इससे भी ज्यादा बुरा महसूस कर सकते हैं|

ये बहुत ही महत्वपूर्ण क्षण है, या अपने आपको शरीफ आदमी के रूप में साबित करने का या क्रीपेश्वर के रूप में|

1) लेकिन अगर आप सहकर्मी /सहपाठी /पड़ोसी हैं और आपको अपने लगाव का बार बार सामना करना पड़ता है, तो ये कई  बार  बहुत मुश्किल हो जाता है| आपका दिल दर्द -ए- डिस्को करता है, लेकिन आपका दिमाग कहता है,  हल्के हो जाओ और सालसा करो| यह फँसने का मुकाम है, जहाँ अगर आपने उसे नज़रअंदाज़ किया या उसके साथ कठोर हो कर उसे ये एहसास करवाया कि ये उसकी गलती है-यानि अगर आप अपनी अस्वीकृति से पनपती मायूसी की भावना पर डटे रहे-  तो आप क्रीप ही रह जायेंगे|  

अपने आप को याद दिलायें कि ये उसकी ग़लती नहीं है कि वो आपको आपकी भावना के बदले कुछ ना दे पायी |सभ्य रहें, अच्छे आचरण हमारी मदद  के लिए बनाये गए हैं| ताकि हम मुश्किल क्षण से बाहर निकल सकें और गधे ना बनें|

2) याद रखें अगर वो आपको “वैसे पसंद नहीं करती है”, तो इस से आप लूज़र नहीं बन जाते हैं |  ऐसा होता है | ज़िन्दगी सिर्फ कभी ख़ुशी कभी ग़म तो नहीं है , कभी हाँ कभी ना भी है | अब इतना भी हाताश ना रहो कि आप अपनी बस में जा रही दूसरी दिलचस्प लड़की को देखना ही भूल जाओ:  वही, जो हमेशा आपकी ओर पलट कर मुस्कुराती है.. शायद वहां कुछ हो ? पॉइंट ये है कि आप देवदास बने रहोगे तो आपको इस सब का पता भी नहीं चलेगा|

३) देवदास की बात से याद आया ……….उस लड़के को ये बात तो अच्छे से पता थी कि शोक कैसे मनाते हैं | आप भी शायद उसकी किताब से एक आद पन्ने ले सकते हैं, आपको उदास होने का अधिकार है| आपको अपने सारे ग़म एक जाम में मिला कर पीने का अधिकार है, आपको ज़मीन पर रेंग कर “मार डाला” गाना गाने का भी अधिकार  है , बेसुरा और ऊँची आवाज़ में  भी |लेकिन उसके सामने नहीं जिसने आपको इंकार किया है, ठीक है? या तो अकेले गाना या उन दोस्तों के साथ जो उसे झेल सकें और मुस्कुरा सकें और आपको कस के गले लगा सकें|

4) अगर आपको ये महसूस होता है कि आपका दुःख संजय लीला भंसाली के पैमाने का नहीं है, बढ़िया है | अपने दोस्त से बात करो,अपने लिए कुछ अच्छा करो| अपनी भावनाओं के बारे में सोचो, उसकी भावनाओं को समझने के बजाये|अगर आप अपने आपको उस सम्मोहक  जंक्शन पे पाते हैं जहाँ – “उसने हाँ क्यों नहीं बोला? मुझमें ऐसा क्या बुरा है?” का सुर चालू है, तो  अपने सिस्टम पर गाना और ज़ोर से बजाओ और गाड़ी तेज़ी से वहाँ से निकाल लो, उन सड़कों पर बिल्कुल मत मुड़ना, ये रास्ते कहीं नहीं जाते , बाबा|

5) गालीगलोच आपकी कोई मदद नहीं करेगा |

6) अपनी कल्पना शक्ति का इस्तमाल करो | कल्पना शक्ति से अपने को पहला जैसे बना लो |आपने अभी तक सारे अजीब परिदृश्य देख लिए होंगे, जैसे कि उसकी खिड़की पे अंडे मारना,उसकी डेट का अपहरण,उसकी मेज़ पर जा कर जोर जोर से ‘जग सूना सूना लागे’ गाना गाना ( हम आपको यहाँ कोई सुझाव नहीं दे रहे हैं) | लेकिन याद रहे,  सारी  कल्पनाएं एक निश्चित अवधि के साथ आती हैं| इन सब में तभी तक लिप्त रहो, जब तक ये आपको अच्छा महसूस करवाती हैं| इन्हे असल ज़िन्दगी में बदलने की कोशिश ना करो |

7) आपने संग बाहर जाने का आमंत्रण दिया और उसने आपको मना कर दिया, लेकिन एक हफ्ते बाद आप उसे किसी और लड़के के साथ देखते हैं..

होता है| वो आपको पसंद करने के लिए बाध्य नहीं है ( आप ही नहीं, किसी भी लड़के के मामले में ) सिर्फ इसलिए कि उसने किसी और लड़के में अपनी रूचि दिखाना शुरू कर दी है …………उसकी पसंद की इज्जत करो |

प्यार मुश्किल है, लेकिन किसने कहा ये आसान है ? बड़े होने का मज़ा बढ़ते रहने में आता है, इश्क़ करो पर धीरे धीरे, एक समय पर, एक कदम | अगर आप खुशकिस्मत हुए (और उसके बारे में  सभ्य हुए ) तो आपके गुलशन नुमा दिल में जल्द फूल ही फूल खिलेंगे |

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