इज़हार-ए-इकतरफ़ा इश्क़ - Agents of Ishq

इज़हार-ए-इकतरफ़ा इश्क़

लेख: कशिश  द्वारा

चित्रण: शिखा श्रीनिवास द्वारा

अगर मैं आपसे पूछूँ कि क्या आपको कभी किसी से इकतरफ़ा इश्क़ हुआ है, आपका जवाब होगा हाँ और अगर मैं इसी सवाल को थोड़ा बदलकर आपसे फिर से पूछूँ कि क्या कभी किसी को आपसे इकतरफ़ा इश्क़ हुआ है तो फिर से आपका जवाब हाँ ही होगा। असल में कभी न कभी किसी न किसी को हमसे इकतरफ़ा इश्क़ होता तो ज़रूर है पर अकसर डर की वजह से लोग हमसे कुछ कहते नहीं और उस प्यार को अपने अन्दर ही जज़्ब कर डालते हैं। इसी तरह हमारी पूरी ज़िन्दगी में हमें भी दूसरों से इकतरफ़ा मुहब्बत होती है। यह भी ज़रूरी नहीं कि ऐसी इकतरफ़ा मुहब्बत एक बार हो, यह बार बार भी हो सकती है।

तो किस्सा कुछ यूँ है कि मुझे उससे और उसे किसी और से इकतरफा इश्क़ हो गया। यही नहीं इसमें एक तीसरा पेंच ये भी है कि एक और साहब जो लम्बे समय से मेरे इकतरफा इश्क़ में थे उन्होंने भी इसी दौरान अपनी मुहब्बत का इज़हार कर डाला। उनकी इस इज़हार-ए-मुहब्बत का नतीजा कुछ नहीं हो सकता था क्योंकि वो अब शादीशुदा हैं और मैं शादीशुदा लोगों से इश्क़ में नहीं पड़ती। हाँ इतना ज़रूर है कि मैंने उनकी इस भावना को बड़े ही अच्छे से सुना, समझा और स्वीकार किया पर इस शर्त के साथ कि वो मुझसे बदले में किसी प्रकार की अपेक्षा न करें। वो साहब भी मान गए। कई बार किसी से अपनी मुहब्बत का इज़हार कर देने भर से ही मन काफी हल्का हो जाता है। उनके साथ भी ऐसा ही हुआ और उन्होंने मुझे बताया कि अब उन्हें बेहतर लग रहा कि कम से कम वे अपने मन की बात मुझसे कह सके, कई सालों से इस बात को मन में दबाना बोझ के जैसा लग रहा था। सच कहूँ तो मेरे लिए ये किसी आश्चर्य से कम नहीं था क्योंकि मैंने कभी नहीं सोचा था कि वो मुझे पसंद करता होगा। मुझे उस दिन काफ़ी ख़ुशी हुई। कुल मिलाकर उसमें वो सभी गुण थे जो मुझे लड़कों में पसंद आते हैं- संवेदनशीलता, दूसरे की बात समझने की कोशिश करना। मैंने उससे कहा कि अगर यही बात उसने अपनी शादी से पहले कही होती तो शायद मैं उसके बारे में सोचती पर अब कुछ नहीं हो सकता। यह सुनकर उसको बहुत पछतावा हुआ। उसने मुझसे कहा कि उसे लगता था कि अगर वो मुझसे इज़हार-ए-मुहब्बत करेगा तो मेरी दोस्ती से भी हाथ धो बैठेगा और ऐसा वो बिल्कुल भी नहीं चाहता था। हम आज भी दोस्त हैं। मैं उसकी भावनाओं का सम्मान करती हूँ पर साथ ही उसे ये भी बता चुकी हूँ कि मैं उससे मुहब्बत नहीं करती। ये पहला वाकया नहीं है जब किसी ने मुझसे अपनी इकतरफ़ा मुहब्बत बयान की। इसके पहले भी मेरे एक दोस्त ने ऐसा मुझसे कहा था। ऐसे मामलों में जब मैं जानती हूँ कि मैं किसी से वापस मुहब्बत नहीं कर सकती मैं उन्हें ये बात बता देती हूँ और ये ध्यान रखती हूँ कि मेरा उनसे व्यवहार पहले जैसा ही रहे। अगर वो मेरे दोस्त हैं तो मैं ये सुनिश्चित करती हूँ कि मेरी उनसे दोस्ती प्रभावित न हो।

अब आती हूँ अपनी इकतरफ़ा मुहब्बत की दास्ताँ पर। जैसा कि मैंने पहले बताया कि मुझे भी किसी से इकतरफ़ा मुहब्बत हो गई। ये साहब मुझे एक डेटिंग एप पर मिले थे और इनसे बिना मिले ही मैं इनके प्यार में पड़ गई पर ये मेरी समझ के बाहर था कि ये बात उन्हें बताऊँ कैसे? खैर पहले वाले साहब की मुझसे इज़हार-ए-मुहब्बत का नतीजा ये हुआ कि मुझे भी हिम्मत आई और मैंने सोचा कि मुझे भी एक बार कह तो देना ही चाहिए ज्यादा से ज्यादा क्या होगा वो मुझे ब्लॉक करेगा इससे ज्यादा क्या? अनकहे शब्दों को जज़्ब करके जीने से बेहतर ब्लॉक होकर जीना। तो मैंने भी हिम्मत करके उससे कह दिया कि एक बार मिल लो यार बहुत ज़रूरी है मेरा मिलना तुमसे। मेरी उम्मीद के उलट वो मान गया। मैं उससे मिली, कुछ समय उसके साथ बिताया और अपनी मुहब्बत का इज़हार करने के जितने भी अप्रत्यक्ष तरीके हो सकते थे सभी को अपनाते हुए उसे अपने प्रेम का अहसास दिला दिया। घर पहुँचने के बाद ये सोचकर कि कहीं मेरी अभिव्यक्तियों में कुछ कसर न रह गई हो मैं उसे एक मेसेज भेज दिया- “तुम मुझे बहुत बहुत अच्छे लगते हो।” वहाँ से कोई जवाब नहीं आया पर हाँ उसने मुझे ब्लॉक भी नहीं किया। उसे और मुझे पता है कि हमें साथ में नहीं रहना, वो किसी और से मुहब्बत करता है पर उसे मेरी इकतरफ़ा मुहब्बत से कोई ऐतराज़ भी नहीं, हम कभी-कधार हाय हेलो कर लेते हैं, जब उसकी याद आती है में उससे कह देती हूँ कि तुम्हारी बहुत याद आ रही है। वैसे भी क्या ही फर्क पड़ता है कि वो मुझे प्यार करता है या नहीं, मैं उससे मुहब्बत करती हूँ मेरे लिए तो इतना ही काफी है। यकीन मानिए ये बात अपने दिल से उसके दिल तक पहुँचाने के बाद से मेरी ज़िन्दगी का खोया हुआ सुकून वापस आ गया है। उसे अपने मन की बात न बता पाने की वजह से मैं जितनी भी चिड़चिड़ाहट से गुज़र रही थी वो सब दूर हो गई। तो देर किस बात की? आप भी कर डालिए अपनी इकतरफ़ा मुहब्बत का इज़हार। बस ध्यान रहे ज़रा सलीके से और थोड़ा सोच-समझकर। सामने वाले को ये मेसेज कतई नहीं जाना चाहिए कि अपनी मुहब्बत के बदले आप उससे मुहब्बत चाहते हैं।

एक बात और इकतरफ़ा मुहब्बत के इज़हार के बाद दूसरे इन्सान की हर प्रकार की प्रतिक्रिया के लिए तैयार रहना चाहिए और दूसरे इंसान की प्रतिक्रिया बहुत कुछ उसकी उम्र पर निर्भर करती है जैसे कि अगर मैं ऊपर वर्णित लोगों की उम्र बताऊँ तो ये सभी जीवन के तीस बसंत पार कर चुके हैं, मैं भी तीस की आयु पार कर चुकी हूँ। दूसरी ज़रूरी बात ये कि हम आपस में दोस्त हैं। हो सकता है ऐसा कुछ टीनएज में होता तो हम सभी कुछ अलग तरह से प्रतिक्रिया करते पर अब किसी से अपनी इकतरफ़ा मुहब्बत का इज़हार करने का सलीका आ गया है और साथ ही ये भी समझ में आ गया है कि केवल इज़हार करना और दूसरे से भी ये आस बाँध लेना कि वो ज़रूर से ज़रूर आपके प्यार में पड़े दोनों अलहदा बातें हैं। तो इज़हार कीजिए पर पीछे न पड़िए और दूसरे को असहज न महसूस करवाइए। अगर आपका कोई दोस्त आपसे अपनी मुहब्बत का इज़हार करे तो बेवजह भड़किए मत, उसकी बात सुन लीजिए आखिर वो आपमें कुछ अच्छा देखकर ही आपके इश्क में पड़ा या पड़ी। गुनहगार की तरह मत व्यवहार कीजिए उससे।

फ़िराक़ गोरखपुरी के शब्दों में कहूँ तो :

“कोई समझे तो एक बात कहूँ

इश्क तौफ़ीक है गुनाह नहीं”

कशिश अपनी ज़िंदगी में रिश्तों को बहुत अहमियत देती हूँ। उसे अकेले समय बिताना बहुत पसंद है और वह ज़्यादातर समय खुद के साथ ही बिताना पसंद करती है। उसे कहानियाँ, कविताएं और ग़ज़लें बहुत पसंद है और उसे लगता है कि हर इंसान की ज़िंदगी एक कहानी है।

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